Wednesday, 17 October 2018

मुस्कुराते चले गए 😊

मुकाम जिंदगी में कई बनाते चले गए।
लेकर हँसी चेहरे पर सारे गम भूलाते चले गए।

रोका कई लकीरो ने इस दुनिया की हमको।
पर बढ़ते गए उन लकीरो को मिटाते चले गए।

दिल में लिए हम उम्मीदों का फलसफा,
उम्मीदों पर हम घर अपना बनाते चले गए।

राह पर मिले लोगो से हमको कई जखम,
पर उनपर हम प्यार की मरहम लगाते चले गए।

किसी ने हमको डांटा, किसी ने दुलारा,
दिल की खुशी, चेहरे पे मुस्कुराते चले गए।

जब पड़ी अपनो पर धूप की कोई कहर,
हम रास्तो पे पेड़ो की छांव बिछाते चले गए।

दिल किया छू लू तारों की ये चमक,
रातों को अपना दिन और दिनों को रात बनाते चले गए।

मुकाम जिंदगी में कई बनाते चले गए।
लेकर हँसी चेहरे पर सारे गम भूलाते चले गए।

Tuesday, 9 October 2018

चल जरा तू

चल जरा तू बढ़ जरा तू, उचाईयो पे चढ़ जरा तू,
आसमाँ को चीर के, हिला दे ये अम्बर धरा तू।
आये चुनोतियो का धुंआ तो, फूंक कर उसको छटा तू,
चल जरा तू बढ़ जरा तू, उचाईयो पे चढ़ जरा तू।

मुश्किलो की आग हो या आकाश छूती सुनामिया,
लड़ जरा तू भिड़ जरा तू लौह जैसा अड़ जरा तू।
चल जरा तू बढ़ जरा तू, उचाईयो पे चढ़ जरा तू।

राह रोके कोई पर्वत जो तेरा,
मार मांझी सी टक्कर जरा तू।
चल जरा तू बढ़ जरा तू, उचाईयो पे चढ़ जरा तू।

- नीतेश कुमार

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