जिंदगी का चिराग

ये केसी मची है हर जगह अजब सी भागमभाग,
कही उड़ रहा उम्मीदों का धुंआ, तो कही लगी है दिल में आग।

जिंदगी के अंधेरों में कोई जला रहा है चिराग़,
किसी की जिंदगी को मिल गया प्रयाग।

इस अल्प से विकल्प से, ये जिंदगी के कल्प से,
नयन निद्रा छोड़ के बढ़ तू आगे गल्प से।

चल संभल तू बढ़ संभल,
खिला दे तू हर पग कमल।

पुकारती है ये धरा, तू चल निकल तू बढ़ निकल।
न मिलेगा तुमको कुछ अगर करोगे तुम बैराग।

घुल जरा तू इस जहां में, मिटा दे ये दिलों की आग।
दिल मिला के जग खिला के, लगा दे प्यार का तू राग।

देख तेरे को मिलेगी, मन प्रसन्नता प्रयाग।
एक बार मुस्कुरा के जला तो तू जिंदगी का चिराग।

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